जब भी भारत में चुनाव की बात होती है, तो हमारे दिमाग में सबसे पहले लोकसभा या विधानसभा के चुनाव आते हैं, जहाँ हम आम जनता सीधे वोट डालकर अपने सांसद (MP) या विधायक (MLA) को चुनते हैं। लेकिन देश के ‘प्रथम नागरिक’ यानी राष्ट्रपति का चुनाव पूरी तरह से अलग और कहीं ज़्यादा पेचीदा होता है। यह एक अप्रत्यक्ष (Indirect) चुनाव होता है, जिसमें हम-आप वोट नहीं डालते।
तो आखिर क्या है यह प्रक्रिया? कौन लोग इसमें शामिल होते हैं, और सबसे ज़रूरी, उनके वोटों की गिनती कैसे होती है? आइए, इस इन-डेप्थ लेख में भारत के राष्ट्रपति चुनाव के हर पहलू को सरल और सहज भाषा में समझते हैं।
1. राष्ट्रपति चुनाव का आधार: ‘निर्वाचक मंडल’ (Electoral College)
राष्ट्रपति चुनाव की पूरी कहानी एक विशेष समूह के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे निर्वाचक मंडल या इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है। संविधान के अनुच्छेद 54 में इसका स्पष्ट उल्लेख है।
इस मंडल में कौन-कौन शामिल होता है?
- संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सिर्फ़ निर्वाचित सदस्य (Elected MPs)।
 - सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य (Elected MLAs)।
 - दिल्ली और पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य (चूंकि उन्हें विधानसभा का दर्जा प्राप्त है)।
 
ध्यान दें: जो सदस्य नॉमिनेटेड होते हैं (मनोनीत सदस्य), वे इस चुनाव में वोट नहीं डाल सकते, चाहे वे लोकसभा, राज्यसभा या विधानसभा के हों। इसका मतलब है कि सिर्फ़ वही लोग वोट डालते हैं जिन्हें जनता ने सीधे चुनकर भेजा है।
2. वोट का ‘मूल्य’ (Value of Vote): एक अनोखा गणित
अगर एक सांसद या विधायक का वोट सिर्फ़ ‘एक’ गिना जाएगा, तो उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य (जहाँ ज़्यादा विधायक हैं) और सिक्किम जैसे छोटे राज्य के बीच प्रतिनिधित्व में असंतुलन आ जाएगा। इस असंतुलन को दूर करने के लिए, राष्ट्रपति चुनाव में हर सदस्य के वोट का एक निश्चित मूल्य (Value) निकाला जाता है, न कि सिर्फ़ संख्या।
विधायक (MLA) के वोट का मूल्य
किसी भी राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य निकालने का फ़ॉर्मूला यह है:
उदाहरण: उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य सबसे ज़्यादा होता है, क्योंकि उसकी जनसंख्या सबसे अधिक है। वहीं, सिक्किम के विधायक का मूल्य कम होता है। (यह गणना 1971 की जनगणना पर आधारित है, जिसे फिलहाल 2026 तक फ्रीज किया गया है, ताकि राज्यों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रोत्साहित किया जा सके)।
प्रतिशत कैसे निकालें: जीवन के हर मोड़ पर काम आने वाला सबसे आसान तरीका!
सांसद (MP) के वोट का मूल्य
एक सांसद (लोकसभा या राज्यसभा) के वोट का मूल्य निकालने के लिए, पहले देश के सभी राज्यों के विधायकों के वोटों का कुल मूल्य जोड़ा जाता है।
इस गणना से यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी राज्यों और केंद्र के निर्वाचित सदस्यों के वोटों का कुल मूल्य लगभग बराबर रहे, जिससे संघीय ढांचे (federal structure) का सम्मान हो।
3. जीतने का तरीका: एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote)
राष्ट्रपति चुनाव में कोई उम्मीदवार तब तक नहीं जीत सकता जब तक उसे आवश्यक कोटा या जीतने के लिए ज़रूरी न्यूनतम वोट मूल्य न मिल जाए। यह एक साधारण बहुमत नहीं होता।
आवश्यक कोटा (Quota) निकालने का फ़ॉर्मूला:
यानी, विजेता को कुल वैध वोटों के मूल्य का 50% से अधिक (+1) हासिल करना ज़रूरी है।
यह कोटा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation System) के तहत एकल संक्रमणीय मत पद्धति (Single Transferable Vote – STV) द्वारा प्राप्त किया जाता है।
- वरीयता मतदान (Preferential Voting): मतदाता (सांसद/विधायक) केवल एक उम्मीदवार को वोट नहीं देता, बल्कि मतपत्र (Ballot Paper) पर अपनी पसंद के क्रम में सभी उम्मीदवारों को वरीयता देता है, जैसे 1, 2, 3, आदि।
 - वोटों का ‘संक्रमण’ (Transfer of Votes):
- पहले चरण में सिर्फ़ पहली वरीयता (First Preference) के वोट गिने जाते हैं।
 - यदि किसी उम्मीदवार को आवश्यक कोटा नहीं मिलता, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है।
 - बाहर किए गए उम्मीदवार को मिली दूसरी वरीयता के वोटों को अन्य उम्मीदवारों में ‘ट्रांसफर’ कर दिया जाता है।
 - यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार आवश्यक कोटा पूरा नहीं कर लेता।
 
 
यह प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि जीतने वाले उम्मीदवार को व्यापक समर्थन (यानी 50% से अधिक) प्राप्त हो।
4. चुनाव की प्रक्रिया और गोपनीयता
राष्ट्रपति चुनाव में मतदान गुप्त मतपत्र (Secret Ballot) द्वारा होता है और इसका आयोजन भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) करता है। यह चुनाव दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एक संवैधानिक प्रक्रिया है।
- उम्मीदवार को नामांकन के लिए 50 प्रस्तावक (Proposers) और 50 अनुमोदक (Seconders) की ज़रूरत होती है, जो निर्वाचक मंडल के ही सदस्य होने चाहिए। यह नियम इसलिए है ताकि गंभीर उम्मीदवार ही चुनाव लड़ें।
 
यह पूरा गणित थोड़ा जटिल ज़रूर है, लेकिन इसका सार यह है कि हमारा राष्ट्रपति पूरे देश के जनप्रतिनिधियों—विधायकों और सांसदों—के व्यापक और संतुलित समर्थन से चुना जाता है, जो हमारे गणतंत्र (Republic) की भावना को मज़बूती देता है।